मंजिल मिलेगी
यही उत्साह
लिए जीता हुँ
मिल जाती हैं
ऐसा नहीं है
कि नहीं मिलती
सोची हुई
मंजिल मुझे
बस एक आगे
कि मंजिल
ढूंढ लेता हुँ
फिर उसी
उत्साह से
कि मंजिल
जरूर मिलेगी
आगे बढ़ता रहता हुँ
मन की हलचल
Thursday 29 September 2016
उत्साह
Tuesday 27 September 2016
उम्मीद
हर दिन
इस उम्मीद मे
जीता हूं
कदमो को थाम कर
उस ओर
निगाह करता हुॅ
पलको को
झपकाने
की आदत
छोड़ दी यारो
क्या पता
कारवां
निकल ही जाए
पहला दिन
पहला दिन
बाते बहुत सी
अनुभव की कमी
सुना था blogger
लिखने बैठ गया
मिलेगा कोई हमसफर
कारवां बढ़ाने को
आपका इंतजार
गुमनाम एक नाम
विनय
बस इतना काफी है
आज के लिए
बाते बहुत सी
अनुभव की कमी
सुना था blogger
लिखने बैठ गया
मिलेगा कोई हमसफर
कारवां बढ़ाने को
आपका इंतजार
गुमनाम एक नाम
विनय
बस इतना काफी है
आज के लिए
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